दो मार्च से शुरू होंगे रंगभरी महोत्सव के लोकाचार

वाराणसी- काशी की लोक परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि के उपरांत रंगभरी एकादशी की तिथि पर भगवान शंकर माता पार्वती का गवना कराया जाता है। यह परंपरा 356 वर्षों से निरंतर निभाई जा रही है। इस वर्ष रंगभरी एकादशी का पर्व पांच मार्च को मनाया जाएगा। पांच मार्च होने वाली गवना की रस्म से पहले किए जाने वाले लोकाचार का श्रीगणेश दो मार्च से टेटीनीम स्थित नवीन महंत आवास पर होगा। यह जानकारी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने 1मार्च रविवार को टे?ीनीम स्थित नवीन महंत आवास में पत्रकारों से बातचीत में दी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि दो मार्च को गीत गवना, तीन मार्च को गौरा का तेल-हल्दी और चार मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा। पांच मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी। भोर में चार बजे 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक होगा। सुबह छह बजे बाबा को पंचगव्य से स्नान कराया जाएगासुबह सा? छह बजे बाबा का षोडषोपचार पूजन होगा। सुबह सात से नौ बजे तक महंत परिवार के सदस्यों द्वारा लोकाचार किया जाएगा। नौ बजे से बाबा का श्रृंगार आरंभ होगा। बाबा की आंखों में लगाने के लिए काजल विश्वनाथ मंदिर के खप्प? से लाया जाएगा जबकि गौर के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से मंगाया जाएगा। पूर्वाह्न 11 बजे भोग और महाआरती होगी। इसके उपरांत शिवांजलि महोत्सव का |शुभारंभ पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पांच मार्च को दोपहर 12 बजे से शाम सा? चार बजे तक काशी ही नहीं देश के जाने माने कलाकारों द्वारा भगवान शिव पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम 'शिवांजलि' का आयोजन होगा। इस वर्ष शिवांजलि में काशी के रुद्रनाद बैंड के कलाकारों द्वारा गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां की जाएंगी। रुद्रनाद बैंड की ओर से भगवान शिव को समर्पित पांच नई कंपोजीशन की रिलीजिंग भी 'शिवांजलि' के मंच से होगी। बाबा के गौना के लिए 151 किलो गुलाब का अबीर खासतौर से मथुरा से मंगाया गया है। इससे पहले बाबा की पालकी पर उाने के लिए 51 किलो अबीर मथुरा से मंगाया जाता था। विगत 356 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका है जब बाबा की पालकी को मंदिर तक पहुंचाने के लिए पहले की तुलना में कहीं अधिक दूरी तय करनी होगी। पहले मंदिर और महंत आवास आमने- सामने होने के कारण मात्र 25 से 30 कदम चलना होता थाइस बार टेनीम से साक्षी विनायक, कोतलवालपुरा, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए बाबा की पालकी मुख्य द्वार से विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करेगी। यह दूरी कम से कम सा? चार सौ मीटर होगी। पालकी यात्रा में डमरूदल और शंखनाद करने वाले 108 सदस्य से भगवान शिव को समर्पित पांच नई कंपोजीशन की रिलीजिंग भी 'शिवांजलि' के मंच से होगी। बाबा के गौना के लिए 151 किलो गुलाब का अबीर खासतौर से मथुरा से मंगाया गया है। इससे पहले बाबा की पालकी पर उाने के लिए 51 किलो अबीर मथुरा से मंगाया जाता था। विगत 356 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका है जब बाबा की पालकी को मंदिर तक पहुंचाने के लिए पहले की तुलना में कहीं अधिक दूरी तय करनी होगी। पहले मंदिर और महंत आवास आमने- सामने होने के कारण मात्र 25 से 30 कदम चलना होता थाइस बार टेनीम से साक्षी विनायक, कोतलवालपुरा, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए बाबा की पालकी मुख्य द्वार से विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश करेगी। यह दूरी कम से कम सा? चार सौ मीटर होगी। पालकी यात्रा में डमरूदल और शंखनाद करने वाले 108 सदस्य भी शामिल होंगे। नादस्वरम् और बंगाल का ढाक भी बाबा की पालकी यात्रा में गूंजेंगे पत्रकारवार्ता में मौजूद शिवांजलि के प्रबंधक संजीव रत्न मिश्र ने बताया कि पं. अमित त्रिवेदी और कन्हैया दूबे केडी' को कार्यक्रम समन्वयक बनाया गया है। सांस्कृतिक सत्र में दिल्ली की कथक नृत्यांगना नलिनी निगम, बिहार के डा. भरत शर्मा 'व्यास',जौनपुर के लोक गायक सौरभ शुक्ला, बनारस के डा. अमलेश शुक्ल सहित कई नामी-गिरामी कलाकारों के कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन अरविंद मिश्र 'शांत' द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि टे?ीनीम स्थित जालान गेस्ट हाउस अब नवीन महंत आवास हो गया है। आवास के भूतल पर बाबा को विराजमान कराने के लिए छोटा हॉल और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए ब? हाल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।